नेटवर्क क्या है? पूरी जानकरी [2021] | Network Kya Hai in Hindi?

आज के समय में Network ने हमारी दुनिया पूरी तरह से बदल दिया है, जब हम चाहें किसी से भी नेटवर्क के जरिए कनेक्ट हो सकते हैं और आपस में Information भी शेयर कर सकते हैं. हम घर बैठे इंटरनेट चला सकते हैं और इंटरनेट के मदद से online खाना आर्डर कर सकते हैं, Sports देख सकते हैं, Ticket Book कर सकते हैं, इसी के साथ ही हम Online पढाई भी कर सकते हैं. ये सब संभव है Networking की वजह से, क्या आप जानना चाहतें हैं की नेटवर्क क्या है (Network Kya Hai in Hindi) और यह कैसे काम करता है.

इस आर्टिकल में आप आसान भाषा में और अच्छी तरह समझ जाओगे की नेटवर्क क्या है, इसके प्रकार क्या हैं, यह कैसे काम करता है, और Networking क्या है? (What is Network in Hindi) तो चलिए जानतें हैं.

नेटवर्क क्या है? (Network Kya Hai in Hindi)

जब दो या दो से अधिक Computers आपस में जुड़ जाते हैं तो उसे ही Network कहा जाता है. नेटवर्क के जरिए कम्प्यूटर्स आपस में जुड़ सकते हैं और Data का आदान प्रदान कर सकते हैं. Computers को आपस में Wire के जरिये और Wireless इन दो तरीकों से जोड़ा जा सकता है. 

एक Network Collection है Computer, Mainframes, Servers, network devices, और Peripherals का जो की आपस में डाटा शेयर कर सकते हैं, नेटवर्क का सबसे बड़ा उदाहरण है Internet. इसे ही Networking भी कहा जाता है.

आज के समय में दुनिया के कई करोड़ कम्प्यूटर्स आपस में Wire के जरिये और Wireless तरीके से जुड़े हुए हैं इसे ही Network कहा जाता है, और जब इसी Network के जरिए कम्प्यूटर्स आपस में Data को शेयर करते हैं तब इसे Internet कहा जाता है.

Wire के जरिए कम्प्यूटर्स को जोड़ने के लिए Coaxial Cable, Fibre Optic Cable, और Twisted Pair Cable का इस्तेमाल किया जाता है. Wirelessly कम्प्यूटर्स को आपस में जोड़ने के लिए Radio Waves, Bluetooth, Infrared, और Satellite जैसे Wireless Medium का इस्तेमाल किया जाता है.

अगर आपके पास कोई प्रिंटर नहीं है और आप अपने मोबाइल से किसी भी फाइल का Print निकालना चाहते हो तब आप सबसे पहले उसे साइबर कैफ़े में मौजूद कंप्यूटर पर सेंड करते हो और साइबर कैफ़े में मौजूद प्रिंटर पर अपने फाइल को सेंड करके आप Print निकाल सकते हो. इस प्रोसेस में जब आपने ईमेल के जरिये अपने फाइल को साइबर कैफ़े के कंप्यूटर पर भेजा तब भी आप नेटवर्क से connected थे और जब उसी फाइल को साइबर कैफ़े वाले कंप्यूटर से आपने प्रिंटर तक भेजा तब भी वह कंप्यूटर और प्रिंटर एक नेटवर्क के जरिये आपस में कनेक्टेड थे.

किसी भी नेटवर्क को काम करने के लिए सबसे मुख्य चीज़ें हैं Sender, Reciever, Message, Protocol, और Medium.

  • Sender : सेन्डर वह कंप्यूटर होता है जो की कोई Data सेंड करता है. चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं, अगर आप Facebook पर कोई फोटो Upload करतें हैं तो इसका मतलब आप Sender हैं.
  • Reciever : Reciever वह कंप्यूटर होता है जो की सेन्डर द्वारा भेजे गए Data को Recieve करता है. इसका उदाहरण है जब आप Facebook पर कोई फोटो Upload करते हो तो Facebook का सर्वर एक Reciever की तरह काम करता है.
  • Message : Message वह डाटा होता है जिसे Sender Reciever के पास भेजता है, किसी भी Network के जरिए. 
  • Protocol : यह एक नियम होता है, किसी भी Network में Data Transfer करने के लिए और Data Recieve करने के लिए Protocol का इस्तेमाल किया जाता है. चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं, आपने लगभग हर वेबसाइट के URL (https://onlinehinditech.in) से पहले http (Hyper Text Transfer Protocol) या फिर https (Hyper Text Transfer Protocol Secure) लिखा हुआ देखा होगा यह और कुछ नहीं बल्कि एक Protocol है जो की Network के जरिये Browsers को Web Data ट्रांसफर करता है.
  • Medium : यह एक माध्यम होता है, जिसके जरिए किसी भी Network पर Data को Transfer किया जाता है. किसी भी नेटवर्क में Data को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में Transfer करने के लिए दो Medium का उपयोग किया जा सकता है, पहला है Wire Medium और दूसरा है Wireless Medium. 

ऊपर बताए गए सभी चीज़ें किसी भी नेटवर्क के मुख्य components हैं, जो की नेटवर्क Devices को आपस में Connect करके डाटा शेयर करने का काम करता है.

Network Devices in Hindi 

किसी भी नेटवर्क को बनाने के लिए Network Devices का होना काफी जरुरी होता है, क्यूंकि ये सभी Devices आपस में connect होकर डाटा को शेयर करते हैं. तो चलिए जान लेते हैं नेटवर्क Devices के बारे में.

  • Desktop, Computers, Laptop, Mainframes, Servers : ये सभी नेटवर्क Devices आपस में connect होकर डाटा को शेयर कर सकते हैं. जैसे जब आप अपने Laptop या फिर Computer से इंटरनेट Access कर रहे होते हो तब आप Servers से ही कनेक्ट रहते हो और सर्वर आपके Request के बदले Response सेंड करता है.
  • Console और Thins Clients : Console एक ऐसा Computer System होता है जो की Monitor करता है Network और कंप्यूटर को. Thin Clients कुछ ऐसे Computers होते हैं जो की Operating System और एप्लीकेशन के लिए अन्य कम्प्यूटर्स पर निर्भर रहतें हैं. ये भी एक नेटवर्क डिवाइस ही है.
  • Firewalls : Firewall एक Hardware Device या फिर Software Utility हो सकता है जो की आपके नेटवर्क और कंप्यूटर में आ रहे डाटा को Filter करता है और आपके नेटवर्क और कंप्यूटर को Malware से सुरक्षित रखता है. इसे आप एक Security Guard भी कह सकते हैं, Network Port को ब्लॉक करना या Restrict करना Firewall का काम होता है.
  • Bridges : Bridges ऐसे नेटवर्क Device होते हैं जिनका मुख्य काम होता होता है दो छोटे Network को आपस में कनेक्ट करके एक बड़े नेटवर्क का निर्माण करना. यह दो LAN को आपस में जोड़कर एक नया बड़ा नेटवर्क बना सकता है.
  • Repeaters : Repeaters का मुख्य काम होता है Signal के Strenght को बढ़ाना, जिससे सिग्नल बिना Quality Loss किए हुए लम्बी दूरी तय कर सकता है. Range Extender भी एक प्रकार का Repeaters ही है जिसका मुख्य काम होता है Wifi के सिग्नल के Range को बढ़ाना. 
  • NIC (Network Interface Card) : इसे Ethernet Card और Network Adapter भी कहा जाता है, यह एक Expansion Card होता है जो की कंप्यूटर को Network से जोड़ने का काम करता है. 
  • Modems और Routers : Modem एक हार्डवेयर Device है जो की आपके कंप्यूटर को Braodband Network से जोड़ता है. Routers ऐसे हार्डवेयर Device होतें हैं जोकि Incoming Packets को Recieve और Analyze करके अन्य Network पर भेज देता है. 
  • Switches और Hubs : Switches ऐसे हार्डवेयर Device हैं जो की Signal के Flow को नियंत्रित करता है, यह जब चाहे सिग्नल को Open रख सकता है और जब चाहे सिग्नल को Close भी कर सकता है. Hub एक Network Device है जो की अलग अलग कम्प्यूटर्स और नेटवर्क को आपस में कंनेक्ट करता है.
  • Webcam : Webcam कैमरा कंप्यूटर से कनेक्ट हो सकता है और videos को Record करके Real Time में इंटरनेट पर ट्रांसफर कर सकता है.
  • Smartphones और Tablets : आप सभी स्मार्टफोन का इस्तेमाल तो करते ही हो और इसके मदद से इंटरनेट भी Access कर सकते हो. उसी तरह Tablet का इस्तेमाल करके हम इंटरनेट को Access कर सकते हैं.

आपने ऊपर जितने भी Network Devices को देखा वे सभी आपस में मिलकर एक विशाल नेटवर्क का निर्माण करते हैं जिसे हम Internet कहते हैं. 

नेटवर्क का इतिहास (History of Network in Hindi)

अभी तक तो आप यह समझ ही गए होंगे की Network (Networking) क्या है (What is Network in hindi), तो अब चलिए नेटवर्किंग के इतिहास को जानतें हैं.

  • 1961 (ARPANET) : साल 1961 में सबसे पहले Leonardo Kleinrock ने ARPANET (Advanced Research Projects Agency Network) नेटवर्क सिस्टम के बारे में अपना प्रस्ताव रखा था. ARPANET सबसे पहला कंप्यूटर नेटवर्क था.
  • 1965 (Packet ) : साल 1965 में Donald Davies ने Packet नामक Term का अविष्कार किया, जब नेटवर्क पर डाटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर ट्रांसफर किया जाता है तब बड़े डाटा को छोटे छोटे पार्ट्स में कन्वर्ट कर दिया जाता है, इसे ही Packets कहते हैं.
  • 1969 (Packet Switching) : साल 1969 में पहली बार ARPANET ने Packet Switching का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था. हालाँकि ARPANET का इस्तेमाल सबसे पहले 1966 में UCLA (University of California, Los Angeles) और SRI (Stanford Research Institute) के कंप्यूटर को आपस में कनेक्ट करने के लिए किया गया था.
  • 1969 (Network Switch) : साल 1969 में Network Switch और IMP (Interface Message Protocol) का इस्तेमाल करके UCLA (University of California, Los Angeles) में डाटा ट्रांसफर किया गया था. 
  • 1969 (Internet) : 29 अक्टूबर 1969 के दिन UCLA और SRI के बीच पहले डाटा Transmission के साथ ही Internet का भी जन्म हो गया था.
  • 1971 (Email और ALOHAnet) : साल 1971 में ही सबसे पहला ईमेल sent किया गया था. इसी साल ALOHAnet का इस्तेमाल करके Hawaii के Islands को आपस में कनेक्ट किया गया था.
  • 1973 (Ethernet, SATNET, VoIP Call) : साल 1973 में Robert Metcalfe ने Ethernet का अविष्कार किया था. इसी साल First International Network Connection को स्थापित किया गया था, जिसे SATNET कहा जाता है. इसी के साथ ही इसी साल में पहली बार VoIP Calling सिस्टम का निर्माण किया गया था. 
  • 1974 (Router) : साल 1974 में पहली बार Xerox कंपनी द्वारा Router का इस्तेमाल किया गया था, हालाँकि ये Routers True IP Routers नहीं थे.
  • 1976 (Gateway) : साल 1976 में पहली बार True IP Routers का निर्माण किया गया था, जिसे Gateway कहा जाता है. 
  • 1978 (TCP/IP  Protocol) : Vint Cerf और Bob Kahn ने मिलकर TCP/IP Protocol का निर्माण किया था.
  • 1981 (IPV4) : साल 1981 में Internet Protocol Version 4 का निर्माण किया गया था.
  • 1983 (DNS) : साल 1983 में Paul Mockapetris और Jon Postel ने पहली बार DNS सिस्टम का इस्तेमाल किया था, Domain Name System एक सर्विस होता है जो की डोमेन के नाम और होस्ट के नाम की जगह पर IP Address देता  है.
  • 1988 (WaveLAN और Firewall) : साल 1988 में पहली बार WaveLAN टेक्नोलॉजी का निर्माण किया गया था, जिसे आज के समय में हम Wi-Fi कहते हैं. इसी के साथ इसी साल में Firewall सिस्टम का भी निर्माण किया गया था.
  • 1996 (IPV6) : साल 1996 में पहली बार IPV6 (Internet Protocol Version 6) का निर्माण किया गया था, इसके आने से IP Address, Routing और Embedded Encryption का Range काफी बढ़ गया था. 
  • 1997 (WiFi) : साल 1997 में पहली बार WiFi Standard 802. 11 का निर्माण किया गया था, यह WiFi सिस्टम 2mbps की स्पीड प्रदान करता था.
  • 1999 (Official WiFi) : साल 1999 में Officially WiFi को आम लोगों के लिए उपलब्ध करा दिया गया था.

नेटवर्क के प्रकार (Types of Network in Hindi)

अब तक तो आप यह समझ में आ ही गया होगा की नेटवर्क क्या है? तो चलिए अब जानते हैं की नेटवर्क के कितने प्रकार हैं (Types of Network in Hindi). वैसे तो नेटवर्क कई प्रकार के होतें हैं लेकिन PAN, LAN, MAN, और WAN ये तीन सबसे ज्यादा पॉपुलर है (Network Kya Hai). 

दुनिया में मौजूद सभी Networks को उनके कवरेज Area और कितने कम्प्यूटर्स इसमें रह सकते हैं उसके हिसाब से इन्हें बाटाँ गया है.

1. PAN (Personal Area Network in Hindi)

PAN का कवरेज एरिया ज्यादा से ज्यादा 10 मीटर तक ही सिमित रहता है, इस नेटवर्क का इस्तेमाल पर्सनल कम्प्यूटर्स और Devices को आपस में कनेक्ट करने के लिए किया जाता है इसलिए इसे Personal Area Network भी कहा जाता है. Laptops, मोबाइल फ़ोन, Media Player, और Play Station का इस्तेमाल करके Personal Area Network को बनाया जा सकता है.

PAN in Hindi
PAN (Personal Area Network)

PAN दो प्रकार के होते हैं 

  • Wired Personal Area Network : USB का इस्तेमाल करके Wired LAN को बनाया जाता है.
  • Wireless Personal Area Network : Bluetooth और WiFi का इस्तेमाल करके Wireless PAN को बनाया जाता है, इसका रेंज काफी कम होता है.

2. LAN (Local Area Network in Hindi) 

LAN या Local Area Network नेटवर्क devices को आपस में इस तरह कनेक्ट करता है जिससे कंप्यूटर और Workstations आपस में डाटा और टूल Programs को शेयर कर सकते हैं. इस नेटवर्क में कम्प्यूटर्स के ग्रुप आपस में Switch के जरिए कनेक्ट रहते हैं और डाटा को ट्रांसफर करने के लिए TCP/IP Protocol का इस्तेमाल करते हैं.

LAN नेटवर्क में मौजूद सभी कम्प्यूटर्स के IP Address अलग अलग होतें हैं इसी IP Address का इस्तेमाल करके कम्प्यूटर्स आपस में कनेक्ट होते हैं. LAN नेटवर्क में Routers का इस्तेमाल करके इंटरनेट से संपर्क स्थापित किया जाता है.

LAN in Hindi
LAN (Local Area Network)

इस नेटवर्क में कम्प्यूटर्स की संख्या काफी कम होती है इसलिए इसमें डाटा का ट्रांसफर काफी तेज़ गति से होता है. LAN काफी कम Area को कवर करता है, LAN का Area कुछ सौ मीटर तक ही सीमित रहता हैइसका इस्तेमाल मुख्यतः घरों, कार्यालयों, स्कूलों में किया जाता है.

LAN नेटवर्क में कम्प्यूटर्स के बीच कनेक्शन बनाने के लिए Coaxial Cable और Twisted Pair Cable का इस्तेमाल किया जाता है. यह कम दूरी तक ही सीमित रहता है इसलिए इसमें Noise और Error लगभग ना के बराबर रहता है.

Characteristics of LAN

  • इसका डाटा ट्रांसफर स्पीड 100 – 1000 mbps तक रहता है.
  • यह छोटे Area तक ही सिमित रहता है जैसे की घर, ऑफिस, स्कूल इत्यादि. 
  • LAN नेटवर्क के जरिए दो कम्प्यूटर्स आपस में जुड़ सकते हैं और हज़ारों कम्प्यूटर्स आपस में कनेक्ट हो सकते हैं.
  • मुख्य रूप से LAN नेटवर्क में Wired connection का इस्तेमाल किया जाता है.
  • उदाहरण : आपके घर में लगा हुआ WiFi कनेक्शन, ऑफिस में मौजूद कम्प्यूटर्स जिस नेटवर्क से कनेक्ट रहते हैं वह LAN नेटवर्क ही होता है.

3. MAN (Metropolitan Area Network)

MAN का कवरेज एरिया LAN के कवरेज एरिया के मुकाबले काफी ज्यादा होता है लेकिन WAN के कवरेज एरिया से कम होता है. यह दो या दो से अधिक अलग अलग शहर के या एक ही शहर में मौजूद कम्प्यूटर्स को आपस में कनेक्ट कर सकता है. MAN नेटवर्क का इस्तेमाल मुख्य रूप से ISP (Internet Service Provider) और TV केबल ऑपरेटर्स द्वारा किया जाता है, इसका एरिया 5-50 किलोमीटर तक सिमित रहता है.

Network in Hindi MAN
MAN (Metropolitan Area Network)

Characteristics of MAN

  • MAN का निर्माण करना और इसका देख भाल करना काफी महंगा होता है.
  • इसमें डाटा स्पीड 5-10 Mbps तक रहता है.
  • इसे कई संघठन आपस में मिलकर चलाते हैं.
  • इसका कवरेज एरिया 5-10 किलोमीटर तक रहता है.
  • उदाहरण : केबल नेटवर्क और टेलीफोन का DSL नेटवर्क 

4. WAN (Wide Area Network)

WAN नेटवर्क का कवरेज क्षेत्र सबसे अधिक होता है यह किसी भी देश के कम्प्यूटर्स को आपस में नेटवर्क के जरिए  कनेक्ट कर सकता है. इसका कवरेज क्षेत्र काफी बड़ा होने के कारण इसमें Network Congestion काफी ज्यादा होता है.

LAN नेटवर्क को टेलीफोन और रेडियो वेव का इस्तेमाल करके कनेक्ट करने पर यह WAN किस तरह भी काम करता है. WAN मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं Switched WAN और Point-To-Point WAN, इसे बनाना और Maintain करना काफी मुश्किल का काम होता है.

WAN in Hindi
WAN (Wide Area Network)

WAN में Communication करने के लिए PSTN (Public Switched Telephone Network) और Satellite Link का इस्तेमाल किया जाता है. अब क्यूंकि इसमें डाटा का ट्रांसमिशन काफी दूरी तक होता है इसलिए इसमें noise और error भी बढ़ जाता है.

Characteristics of WAN

  • इसमें एक देश के कंप्यूटर को दूसरे देश के कंप्यूटर से कनेक्ट किया जा सकता है. 
  • इसमें डाटा का स्पीड LAN से काफी कम होता है इसका स्पीड 150mbps तक होता है.
  • इसमें नेटवर्क Congestion काफी ज्यादा रहता है.
  • इसका कवरेज एरिया कई हज़ार किलोमीटर तक होता है.
  • उदाहरण : Switched WAN का उदाहरण है ATM और Point-To-Point WAN का उदाहरण है Dial Up इंटरनेट कनेक्शन. 

Conclusion :

हमें आशा है की आपको समझ में आ गया होगा की नेटवर्क क्या है और इसके कितने प्रकार हैं. अब आप दूसरों को भी समझा सकतें हैं की नेटवर्किंग क्या होता है (Networking). अगर आपको यह आर्टिकल (Network Kya Hai in Hindi) अच्छे से समझ में आया है तो आप इसे आपने दोस्तों को भी शेयर करें जिससे उन्हें भी नेटवर्क के बारे में जानकरी मिल पाए.

आप अपने विचार और सुझाव निचे comment में लिखकर हमें बता सकते हैं.

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